आ गई गढ चेतना
जब भी सुने, दीन और दुखी की वेदना, है हमारी, उनके लिए संवेदना, ऊर्जा फिर से हम भरेगे, है कसम,
Read Moreजब भी सुने, दीन और दुखी की वेदना, है हमारी, उनके लिए संवेदना, ऊर्जा फिर से हम भरेगे, है कसम,
Read Moreआज नाराज किलै छ, सोचा दौं हे लठ्याळौं, किलै औणु छ आज, बल गुस्सा वे सनै? रड़ना झड़ना छन, बिटा,
Read Moreबान्दर अर बिराला सि जादा निर्भगि नेतूं कु खायूं, मेरा प्रतापनगर म राजनीति कु आतंक मचायूं, भुन्ना अर बान्दरूं पर
Read More“पहाड़ बहुत गरीब था, सच है कवि “निशंक”, राजशाही के अधीन, रहता था आतंक. कितने ही कस्ट भोगे, फिर पहाड़
Read Moreअपडा गरीबी का दिन !! जौंन त्वेसी लुकाई !! अफु त भूखा स्ये !! त्वे थैं खाणू खिलाई !! ध्याड़ी
Read More“एक बार मुझे” हिला पहाड़ मुझे एक बार, अन्दर से, मेरी अनुभुति के लिए. एक बार तो अवसर दे, मुझे
Read Moreतिस्वाळे हैं गाँवों के धारे, नदियाँ हैं तो प्यासे हैं लोग, कैसे बुझेगी पर्वतजनों की तीस? देखो कैसा हैं संयोग.
Read More“रघुपति राघव राजा- राम पतित पावन सीता- राम” चाय बिड़ी सिगरेट तमाखू मनखी सुबिना तक नी चाखु। घरु घरु से
Read More“तुम मांगते हो उत्तराखंड कहाँ से लाऊं ?” तुम मांगते हो उत्तराखंड कहाँ से लाऊं ? सूखने लगी गंगा, पिघलने
Read Moreनटराज-राज नमो नमः।। सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः… हेआद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः… गंभीर
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