Our Constitution

गढ़ चेतना समिति -संविधान
नियमावली
१. समिति का नाम : गढ़ चेतना समिति
२. संमिति का कार्यलय : २-सी एन आई टी फ़रीदाबाद होगा।
३. समिति का कार्यक्षेत्र : फ़रीदाबाद (हरियाणा )होगा
४. समिति के उद्देश्य :-
१. गढ़ मण्डल के लिए धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं सास्कृतिक जागरण की दृष्टि से कार्ययोजना बनाना तथा उसका कार्यान्वयन करना।
२. विक्रम संवत/शकसंवत के आरम्भ पर भारतीय कालगणना के अनुसार दिग्दर्शिका, दैनदिन्दनी तथा अन्य उत्तराखण्ड से सम्बन्धित साहित्य का प्रकाशन कर बिना लाभ हानि के आधार पर उपलब्ध कराना।
३. गढमण्डल की संस्कृति के उत्थान हेतु व्यावहाारिक उपाय करना तथा जनसहयोग से व आवश्यकता पड़ने पर सरकार के सहयोग से गरीबों के जीवनोत्थान हेतु कार्य करना।
४. अपने समाज के विभिन्न धर्मों/वर्गों के धर्माचार्यों, विद्वानों के राष्ट्रीय, प्रान्तीय, स्थानीय स्तर पर व्याख्यान कराना तथा गोष्ठियॉ आयोजित करना।
५ सदस्यता :- समिति के निम्नलिखित श्रेणी के सदस्य होगे :-
(अ) संरक्षक सदस्य :- समिति को जो व्यक्ति दान के रूप में रूपये 1500 /- या अधिक एक मुश्त या एक साल में बारह किश्तों में देगा वह समिति का संरक्षक सदस्य होगा।
(ब) आजीवन सदस्यः- जो व्यक्ति समिति को दान के रूप में रुपये 500 /- या अधिक देगा वह आजीवन सदस्य बन सकेगा। कोई भी आजीवन सदस्य रूपये 1000 /- या अधिक देकर संरक्षक सदस्य बन सकता है।
(स) साधारण सदस्यः- जो व्यक्ति रुपये 50 /- प्रतिवर्ष संस्था को चन्दे के रूप में देगा वह साधारण सदस्य होगा। साधारण सदस्य केवल एसी अवधि के लिए सदस्य होगा जिसके लिए उसने चन्दा दिया है जो साधारण सदस्य बिना सन्तोषजनक कारणों के लगातार दो वर्ष तक देय चन्दा नही देगा बकाया चन्दे की राशि देने पर पुनः सदस्य बनाया जा सकता है।
(द) सम्मानीय सदस्यः- संस्था के प्रबंधकारणी किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को उस समय के लिये जो भी वह उचित समझे सम्माननीय सदस्य बना सकती है ऐसे सदस्य साधारण सभा की बैठक में भाग ले सकते है, परन्तु उनको मत देने का अधिकार न होगा।
६ सदस्यता की प्राप्ति – प्रत्येक व्यक्ति जो कि समिति का सदस्य बनने का इच्छुक हो लिखित रूप में अपनी व्यक्तिगत जानकारी के साथ आवेदन करना होगा। ऐसा आवेदन-पत्र प्रबंधकारणी समिति को प्रस्तुत होगा जिसके आवेदन-पत्र को स्वीकार करने या अमान्य करने का अधिकार होगा।
७ सदस्यों की योग्यता – संस्था का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति में निम्नलिखत योग्यता होना आवश्यक है :-
(१) आयु 18 वर्ष से कम न हो
(२) गढ़ मण्डल का नागरिक हो
(३) समिति के नियमों के पालन की प्रतिज्ञा की हो
(४) सद्चरित्र, स्वच्छ मस्तिष्क का हो तथा मद्यपान न करता हो।
८ सदस्यता की समाप्ति – संस्था की सदस्यता निम्नलिखित स्थिति में समाप्त हो जावेगी :-
(१) मृत्यु हो जाने पर (२) पागल हो जाने पर (३) संस्था को देय चन्दे की रकम नियम ५ में बताये अनुसार जमा न करने पर (४) त्याग-पत्र देने पर और वह स्वीकार होने पर (५) चरित्रिक दोष होने पर और कार्यकारिणी समिति के निर्णयानुयसार निकाल दिये जाने पर जिसक निर्णय पारित होने की सूचना सदस्य को लिखित रूप में देना होगो।
९ संस्था कार्यालय में सदस्य पंजी रखी जावेगी जिसमें निम्न ब्यौरे दर्ज किये जावेंगे :-
(१) प्रत्येक सदस्य का नाम, पता तथा व्यवसाय
(२) वह तारीख जिसको सदस्यों को प्रवेश दिया गया हो व रसीद नं.
(३) वह तारीख जिसमें सदस्यता समाप्त हुई हो।
१० (अ) साधारण सभा :- साधारण सभा में नियम ५ मे दर्शाये श्रेणी के सदस्य समावेशित होगें साधारण सभा की बैठक आवश्यकतानुसार हुआ करेगी। परन्तु वर्ष में एक बार अनिवार्य होगी। बैठक का माह तथा बैठक का स्थान व समय कार्यकारिणी समिति निश्चित कर १५ दिवस पूर्व प्रत्येक सदस्य को सूचना दी जावेगी। बैठक का कोरम ३/५ सदस्यों का होगा। संस्था की प्रथम आम सभा पंजीयन दिनांक से ३ माह के भीतर बुलाई जायेगी। उसमें संस्था के पदाधिकारियों का विधिवत्‌ निर्वाचन किया जावेगा, यदि संबंधित आम सभा का आयोजन किसी समय नही किया जाता तो पंजीयक को अधिकार होगा कि व संस्था की आम सभा का आयोजन किसी जिम्मेदार कर्मचारी के मार्गदर्शन में एवं पदाधिकारियों का विधिवत्‌ चुनाव कराया जायेगा।
(ब) प्रबंधकारिणी सभा -प्रबंधकारिणी सभा बैठक प्रत्येक तीन माह होगी तथा बैठक का एजेण्डा तथा सूचना बैठक दिनांक से सात दिन पूर्व कार्यकारिणी के प्रत्येक सदस्य को भेजी जाना आवश्यक होगी। बैठक में कोरम १/३ सदस्यों की होगी। यदि बैठक का कोरम पूर्ण नही होता है तो बैठक एक घन्टे के लिए स्थगित की जाकर उसी स्थान पर उसी दिन पुनः की जा सकेगी जिसके लिए कोरम की कोई शर्त न होगी
(स) विशेषस – यदि कम से कम कुल संख्या (कुल सदस्यों की संख्या का) के २/३ सदस्यों द्वारा लिखित रूप से बैठक बुलाने हेतु आवेदन करे तो उनके दर्शाये विषय पर विचार करने के लिए साधारण सभा की बैठक बुलायी जायेगी। विशेष संकल्प पारित हो जाने पर संकल्प की प्रति बैठक पंजीयक का संकल्प पारित हो जाने के दिनांक से १४ दिन के भीतर भेजा जावेगा। पंजीयक को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने तथा समिति को पराशर्म देने का अधिकार होगा।
११ साधारण सभा के अधिकार व कर्तव्य – (क) संस्था के पिछले वर्ष का वार्षिक विवरण प्रगति प्रतिवेदन स्वीकृत करना। (ख) संस्था की स्थाई निधि व संपत्ति की ठीक व्यवस्था करना। (ग) आगामी वर्ष के लिए लेखा परीक्षकों की नियुक्ति करना (घ) अन्य ऐसे विषयों पर विचार करना जो प्रबन्धकारिणी द्वारा प्रस्तुत हो। (च) संस्था द्वारा संचालित संस्थाओं के आय-व्यय पत्रकों को स्वीकृत करना । (छ) बजट का अनुमोदन करना।
१२ प्रबन्धकारिणी का गठन – ट्रस्टीज यदि कोई हो समिति के पदेन सदस्य रहेंगे। नियम ५ (अ, ब, स) मे ंदर्शाये गये सदस्यों जिनके नाम पंजी रजिस्टर में दर्ज हो बैठक में बहुमत के आधार पर निम्नांकित पदाधिकारियों तथा प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों का निर्वाचन होगा-
(१) अध्यक्ष (२) उपाध्यक्ष (३) महासचिव (४) संयुक्त सचिव (५) सचिव प्रथम (६) सचिव द्वितीय (७) कोषाध्यक्ष (८) सदस्य-४ — (कुल 11 कार्यकारिणी सदस्य )
१३ प्रबन्ध समिति का कार्यकाल – प्रबंध समिति का कार्यकाल तीन वर्ष होगा। समिति का यथेष्टा कारण होने पर उस समय तक जब तक कि नई प्रबंधकारिणी समिति का निर्माण नियमानुसार या अन्य कारणों से नही हो जाता, करती रहेगी, किन्तु उक्त अवधि ६ माह से अधिक नही होगी जिसका अनुमोदन साधारण सभा से कराना अनिवार्य होगा।
१४ प्रबन्धकारिणी के अधिकार व कर्त्तव्य –
(अ) जिन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु समिति का गठन हुआ है उसकी पूर्ति करना और इस आशय की पूर्ति हेतु व्यवस्था करना।
(ब) पिछले वर्ष का आय-व्यय का लेखा पूर्णतः परीक्षित किया हुआ प्रगति प्रतिवेदन के साथ प्रतिवर्ष साधारण सभा की बैठक में प्रस्तुत करना।
(स) समिति एवं उसे अधीन संचालित संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन तथा भत्ते आदि का भुगतान करना। संस्था की चल-अचल सम्पत्ति पर लगने वाले कर आदि का भुगतान करना।
(द) कर्मचारियों, शिक्षकों आदि की नियुक्ति करना।
(ई) अन्य आवश्यक कार्य करना, जो साधारण सभा द्वारा समय-समय पर सैंपे जाए।
(च) समिति की समस्त चल-अचल सम्पत्ति, कार्यकारिणी समिति के नाम से रहेगी।
(छ) समिति द्वारा कोई भी स्थावर सम्पत्ति, रजिस्ट्रार की लिखित अनुज्ञा के बिना विक्रय द्वारा या अन्यथा अर्जित या आन्तरित नहीं की जाएगी।
(१५) अध्यक्ष के अधिकार – अध्यक्ष साधारण सभा तथा प्रबन्धकारिणी समिति की समस्त बैठकों की अध्यक्षता करेगा तथा महासचिव द्वारा साधारण सभा में प्रबन्धकारिणी की बैठको का आयोजन करवायेगा। अध्यक्ष का मत विचारार्थ विषयों में निर्णयात्मक होगा।
(१६) उपाध्यक्ष के अधिकार – अध्यक्ष की अनुपस्थित में उपाध्यक्ष द्वारा साधारण सभा एवं प्रबंधकारिणी की, समस्त बैठकों की अध्यक्षता करेगा। अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का उपयोग करेगा।
(१७) महासचिव के अधिकार –
(१) साधारण सभा एवं प्रबंधकारिणी की बैठक समय-समय पर बुलाना और समस्त आवेदन-पत्र तथा सुझाव जो प्राप्त हो प्रस्तुत करना।
(२) समिति का आय-व्यय का लेखा परीक्षण से प्रतिवेदन तैयार करके साधारण सभा के सम्मुख प्रस्तुत करना।
(३) समिति के सारे कागजातों को तैयार करना तथा करवाना। उनका निरीक्षण करना व अनियमितता पाये जाने पर उसकी सूचना प्रबंधकारिणी को देना।
(४) महासचिव को किसी कार्य के लिए एक समय में रूपये 50000 रखने का अधिकार होगा।
(१८) संयुक्त सचिव – महासचिव की अनुपस्थिति में संयुक्त सचिव व महासचिव के अर्थिक को छोड़कर सभी कार्य देखना।
(१९) सचिव प्रथम – संस्था के प्रचार-प्रसार का कार्य देखना।
(२०) सचिव द्वितीय – सांस्कृतिक तथा धार्मिक कार्यों के संबंध में मार्गदर्शन देना।
(२१) कोषाध्यक्ष के अधिकार – समिति की धनराशि का पूर्ण हिसाब रखना तथा महासचिव या कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत राशि व्यय करना।
(२२) बैंक खाता – संस्था की समस्त निधि किसी सरकारी /अनुसूचित/सहकारी बैंक या पोस्ट आफिस में रहेगी। धन का आहरण अध्यक्ष या सचिव तथा कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से होगा। दैनिक व्यय हेतु कोषाध्यक्ष के पास अधिकतम रूपये १०००.०० रहेंगे।
(२३) पंजीयक को भेजी जाने वाली जानकारी – अधिनियम की धारा २७ के अन्तर्गत संस्था की वार्षिक आम सभा होने के दिनांक से ४५ दिन के भीतर निर्धारित प्रारूप पर कार्यकारिणी समिति की सूची फाइल की जावेगी तथा धारा २८ के अन्तर्गत संस्था की परीक्षित लेखा भेजेगी।
(२४) संशोधन – संस्था के विधान में संशोधन साधारण सभा की बैठक में कुल सदस्यों के २/३ मतों से पारित होगा। यदि आवश्यक हुआ तो संस्था के हित में उसके पंजीकृत विधान में संशोधन करने के अधिकार पंजीयक फर्म्स एवं संस्थाएं को होगा जो प्रत्येक सदस्य को मान्य होगा।
(२५) विघटन – संस्था का विघटन साधारण सभा में कुल सदस्यों के ३/५ मत से पारित किया जावेगा। विघटन के पश्चात्‌ संस्था की चल तथा अचल सम्पत्ति किसी समान उद्देश्यों वाली संस्था को सौंप दी जावेगी। उक्त समस्त कार्यवाही अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की जावेगी।
(२६) सम्पत्ति – संसथा की समस्त चल तथा अचल सम्पत्ति संस्था के नाम से रहेगी। संस्था की अचल सम्पत्ति (स्थावर) रजिस्ट्रार फर्म्स एवं संस्थाएं की लिखित अनुज्ञा के बिना विक्रय द्वारा, दान द्वारा या अन्यथा प्रकार से अर्जित या अन्तरित नहीं की जा सकेगी।
(२७ ) पंजीयक द्वारा बैठक बुलाना – संस्था की पंजीयत नियमावली के अनुसार पदाधिकारियों द्वारा वार्षिक बैठक न बुलाए जाने पर या अन्य प्रकार से आवश्यक होने पर पंजीयक, फर्म्स एवं संस्थाएं की बैठक बुलाने का अधिकार होगा। साथ ही यह बैठक में विचारर्थ विषय निश्चित कर सकेगा।
(२८ ) विवाद – संस्था में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर अध्यक्ष को साधारण सभा के अनुमति से सुलझाने का अधिकार होगा। यदि इस निश्चित या निर्णय से पक्षों को सन्तोष न हो तो वह रजिस्ट्रार का निर्णय अन्तिम व सर्वमान्य होगा। संचालित सभाओं के विवाद अथवा प्रबन्ध समिति के विवाद उत्पन्न होने पर अन्तिम निर्णय देने का अधिकार राजिस्ट्रार को होगा।