देव भूमि मा मनखी नि रै गाड़ गदनो पाणी नि रै

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देव भूमि मा मनखी नि रै ।।
गाड़ गदन्यों मा पाणी नि रै ।।
आँसूं छन यूँ आंख्यों मा ।।
डाँडी कांठ्यों मा डाली नि रै ।।
रोज रोज की आपदों मा ।।
यु पहाड़ खण्ड खण्ड छैई ।।

समझ नि औणु दगड़ियों ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।
समझ नि औणू बंधू ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।

बोला दगडियों सोचा दगड़ियों ।।
बोला बंधू मेरा भै बन्धू ।।

पहाड़ रोणू पलायन मा ।।
छोटा बड़ा सभी जयां प्रदेशू मा ।।
रीति रिवाज न थौला मेला रै।।
न बार तेवार ये गढ़देश मा ।।
नेता डुब्यां छ नेतागिरी मा ।।
हमारी बोली बन्द छैई ।।

समझ नि औणू दगड़ियों ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।
समझ नि औणू बंधू ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।

बोला दगड़ियों सोचा दगड़ियों।।
बोला बंधू मेरा भै बंधू ।।

दारु भांगलू घरु घरु मा ।।
पाणी बन्द बिजली घरु मा ।।
भर्ष्टाचार की मार यनि ।।
स्कूल कालेज दफ्तरू मा ।।
जनता भी बस देखण लगीं ।।
नेता ब्यस्त छ घोटालू मा ।।

समझ नि औणू दगड़ियों ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।
समझ नि औणू बंधू ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।

बोला दगड़ियों सोचा दगड़ियों ।।
बोला बन्धु मेरा भै बंधू ।।

स्कूल कखी स्कूल नि रै ।।
नदी नालों मा कखी पूल नि रै ।।
विकाश नौ मा जौन यख ।।
सैरा पहाड़ मा जोल लगै ।।
आंख्यों मा आँशु जिकुडा पीड़ा ।।
खुटा बिटिन सैडा मुण्ड छैई।।

समझ नि औणू दगड़ियों ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।
समझ नि औणू बंधू ।।
यु ही सुपिन्यों कु उत्तराखण्ड छै ।।

बोला दगड़ियों सोचा दगड़ियों ।।
बोला बन्धू मेरा भै बंधू ।।

गीत सुरेन्द्र सेमवाल जी