एक कहानी…. जरूर पढें जंगल में एक कौआ रहता था जो अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट था. लेकिन एक दिन
Read Moreमंदिर में दाना चुगकर चिड़ियां मस्जिद में पानी पीती हैं मैंने सुना है राधा की चुनरी कोई सलमा बेगम सीती
Read Moreकुछ पत्थर चुप जैसे कुछ पत्थर बोलना चाहते हैं किंतु करें क्या, करें क्या कि नहीं है, नहीं है जरा भी
Read Moreराष्ट्र भाषा की व्यथा। दु:ख भरी इसकी गाथा। क्षेत्रीयता से ग्रस्त है। राजनीति से त्रस्त है। हिन्दी का होता अपमान।
Read Moreदेखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है .. सारे
Read Moreआज नाराज किलै छ, सोचा दौं हे लठ्याळौं, किलै औणु छ आज, बल गुस्सा वे सनै? रड़ना झड़ना छन, बिटा,
Read Moreबान्दर अर बिराला सि जादा निर्भगि नेतूं कु खायूं, मेरा प्रतापनगर म राजनीति कु आतंक मचायूं, भुन्ना अर बान्दरूं पर
Read More“पहाड़ बहुत गरीब था, सच है कवि “निशंक”, राजशाही के अधीन, रहता था आतंक. कितने ही कस्ट भोगे, फिर पहाड़
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