नारी शक्ति
सर्वशक्तियॉ क्षीण है मानू,
नारी का है रूप बडा, सब जिससे उपजे नारी है,
वह नारी है वसुंन्धरा,
हे वसुंन्धरा के लाल विनती,
मत नारी का अपमान करो,
नारी के भिन्न भिन्न रूप है,
इन रूपो का सम्मान करो,
मॉ ,बहन, बेटी, भार्या,
ये शक्ति रूप है नारी के,
भॉति भॉति की सुगंध लिए,
ये प्रेम पुष्प है क्यारी के,
भाव, प्रेम, दया, आदर और शक्तिरूप है नारी का,
सम्मान अगर जो मिल जाए,
तो भक्तिरूप है नारी का,
और अंत मे दोस्तो…..
धरा से आकाश है,
आकाश से धरा नही,
आकाश कुछ भी नही,
जब तक धरा नही !
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