GeneralPoems

रक्षा बन्धन

Share

गर्भ मे रह कर , समय के गर्भ से, है अब मेरी करुण पुकार
मानव संभल जा,मान जाअब,तू मत कर मुझ पर अत्याचार,
मै तेरा अस्तित्व हू,मान हू, पहचान हू, यह मान,
मॉ बहन ,बेटी,बहू हू, पहचान हू, यह मान,
अन्जान रहा तो भरनी होगी, भावी भविष्य मे भरपाई,
शायद सूनी रह जाएगी, रक्षा बन्धन पर तेरी कलाई
रक्षा की सौगन्ध उठा सुन,भरले मन मे तू हुंकार,
गर्भ मे रहकर , समय के गर्भ से, है अब मेरी करुण पुकार.,…

आज पुकारे मॉ,बहन व बेटी, अस्तित्व के गलियारे से,
है नारी शक्ति धरोहर धर की,
गर्भ के इस अधियारे से,
गर्भ रह कर कहू ,गर्व से,
जो सुननी है , किलकारी तान,
मत मुझ पर तू खंजर तान,
बनू जो मै तेरी संन्तान,
दावे से कहती हू , तू चल पाएगा एक दिन सीनातान,
जीवन मे तीज त्यौहारौ मे,धूम मचाऊंगी,
जीवन की बगिया महके मुझसे,
मै फिर से महकाऊंगी,

मै आज मॉगती वचन रक्षा का , बन्द करो भूर्ण हत्या की चीत्कार,
गर्भ मे रह कर , समय के गर्भ से, है अब मेरी करुण पुकार,….

और अन्त मे

है नम्र निवेदन आपसे,
अवश्य करना इस पर मन्थन,
भूर्ण रक्षा का संकल्प लिए ,
तुम खूब मनाना रक्षा बन्धन,

तुम खूब मनाना रक्षा बन्धन

सुरेन्द्र सिह रावत

Image may contain: 1 person