एक लड़की की पुकार
एक लड़की की पुकार
पापा आपके आँगन की मीठी किलकारी हूँ मैं, आवारा चीख न समझना |
लड़के से ज्यादा लायक हूँ मैं, नालायक न समझना |
लड़की हूँ तो क्या, अपने साथ गलत होने पर आवाज़ उठाऊंगी,
इतना मुझे कमज़ोर न समझना |
होशियार हूँ, लड़के से ज्यादा कमाऊंगी पापा,
मुझको कोई बोझ न समझना |
खुद के पैरों पर खड़ी होकर दिखाऊंगी, मुझको परेशान कोई ललकार न समझना |
गलत का साथ कभी न दूँगी, बेबस कोई पुकार न समझना |
पापा सब कुछ करूंगी, मुझ पर यूँ धिक्कार न करना,
अच्छा ही करूंगी जो करूंगी, बुराई की कोई तलवार न समझना |
बस पैदा होने से पहले मुझपर जानलेवा वार न करना |
अंत में इतना ही कहूँगी कि, आप की ही औलाद हूँ पापा,
मेरे पैदा होने पर मुझ पर और मेरी मां पर कोई जालिम अत्याचार न करना |
रचना:- मानसी रावत
कक्षा:- 9
जवाहर नवोदय विद्यालय( फरीदाबाद)