हमारू पहाड़
आज नाराज किलै छ,
सोचा दौं हे लठ्याळौं,
किलै औणु छ आज,
बल गुस्सा वे सनै?
रड़ना झड़ना छन,
बिटा, पाखा अर भेळ,
भुगतणा छन पर्वतजन,
प्रकृति की मार,
कनुकै रलु पर्वतजन,
पहाड़ का धोरा?
जरूर हमारू पहाड़,
आज नाराज छ,
इंसान कू व्यवहार,
भलु निछ वैका दगड़ा,
नि करदु वैकु सृंगार,
करदु छ क्रूर व्यवहार,
हरियाली विहीन होणु छ,
आग भी लगौंदा छन,
पहाड़ की पीठ फर,
चीरा भी लगौंदा छन,
घाव भी देन्दा छन,
ये कारण सी होणु छ,
गुस्सा “हमारू पहाड़”.
Nice lines…. really very touchy..