Poems

।। चाय तमाखुन ख्वै इंसान ।।

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“रघुपति राघव राजा- राम

पतित पावन सीता- राम”

चाय बिड़ी सिगरेट तमाखू

मनखी सुबिना तक नी चाखु।

घरु घरु से खर्चा लाखू

करी कमै रूप्यौं कू राखू।।

डुबण कि नौबत ऐगे श्याम

नौका पार लगै दे राम।

रघुपति राघव राजा-राम

पतित पावन सीता राम।।

लोण व तेल कु चिथड़ों भी नी

नौनु क रोटी टुकड़ो भी नी।

फुट्यूं तवा अर डिगचो भी नी

खाणक थकुलि, करछो भी नी।।

चाय शराबन ख्वै इंसान

अब त दया करिदे भगवान।

रघुपति राघव राजा-राम

पतित पावन सीता- राम।।

अज्यूँ -सज्यूँ सब बैठि बिताये

चाय कितलि जब चुल्ला चढ़ाये।

हजम करे सब जु कुछ कमायी

अन्न बिना फिर चैन नी पायी।।

गल्ला लेणक नी छन दाम

दुनिया ठगणकु करदन काम।

रघुपति राघव राजा- राम

पतित पवन सीता -राम।।

            -:कवि

                                 श्री जीवानन्द “श्रीयाल”

            साभार

2 thoughts on “।। चाय तमाखुन ख्वै इंसान ।।

  • Drvender singh

    कृपया इस प्रकार की कविताये मुझे मेरे ई मेल पर समय पर भेज सकते हैं आप ???

    • In future, we will add newsletter features. Then, we will send such content to users who are subscriber.

      Thanks for your interest. We will try to implement it soon

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