विधाता से एक सवाल ?

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उत्ताखण्ड मे जो आए दिन आपदा के बादल फट रहे है
विधाता से एक सवाल ?

हे विधाता बस इदगा बथे दे

बसग्याल हौरो खणि एक गुणा दव्वी गुणा,
अर हम खणि चौगुणा किलै ?
हम खणि हि धरी छाई ई,
किलक्वरी व टौखण किलै ?

ब्वगदा रव्वॉ हम पैलि बटिक ,
पर तु ता दीणु रैई झटिग पर झटिग,
पैलि त बेरोजगारिल हम ब्वगवॉ,
अर पूछा त कैलि भि नि रव्कवॉ,
तिल भि सोची याल कि,
देव भूमि चा,
अर सदिनि रौला जोगि अर जोगण ,
बसग्याल हौरो खणि एकद गुणा दव्वी गुणा,
अर हम खणि चौगुणा किलै ?
हम खणि हि धरी छाई ई, ,किलक्वरी वा टौखण किलै ???????

Badal fata
कवि..सुरेन्द्र सिहं रावत

2 thoughts on “विधाता से एक सवाल ?

  • August 23, 2016 at 9:57 am
    Permalink

    प्रकृति के सामने सब बेबस है।

  • August 23, 2016 at 2:21 pm
    Permalink

    द भै, ब्वारी क्य बोन तब !

    मींकू ब्वारी ढूडि मेरा बुबन, इनी लंबटंग्या सोंणी
    जन क्वी झंगोरा बीच कौणी, अर् बांदरवा बीच गोणी

    तडतडी च नाक व्विंकी इन, जन दाथडे चोंच होंदी
    अर् चौन्ठी पर तिल इनु जन क्वी मोटी कौंच होंदी,

    हैंस्दी मुखडी विंकी इन दिखेंदी जन्बुले, हो रोंणी
    मींकू ब्वारी ढूडि मेरा बुबन, इनी लंबटंग्या सोंणी

    बोल्दी दा इन छुट्दन तैन्का गिच्चा बिटिक बोल
    मंडाण मा कखी बजणु हो जन क्वी फुट्यु ढोल

    जब देख नलका परै, मुख् ही रान्दि धोणी
    मींकू ब्वारी ढूडि मेरा बुबन, इनी लंबटंग्या सोंणी

    सेडी सुर्म्याली आंखी रंदीन तैंकी, गीत क्वी सुणाणी
    सोच्दु भी रन्दु कि रैली किलै, खोपडी बबै खजाणी,

    जन तव्वा कु थौरु होन्दु, इनी हाथी गौणी
    मींकू ब्वारी ढूडि मेरा बुबन, इनी लंबटंग्या सोंणी

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