मेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके
मेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके
सदनि दगडी रैना गले में हंसुलु बनके
इंसान हूँ कुछ ऐब होंगे मुझमे भी
तुम ऐबों को छिंगार जाना थमलु बनके
मौल्यार रैण देना मेरे जीवन में थोड़ी सी
बाकी सब लाछ-लूछ जाना बंसुलु बनके
हाँ वैसे में अडिग हूँ अपने उसूलों पे
पर तुम हौर टेंट घैंट जाना सबुलु बनके
जो भी करेगा सुद्धि-मुद्धि बदनाम हमको
तुम उनको खड्या जाना पट्ट कुटुल बनके
यकुलांस में जब खुद लगेगी मीथें तुमारी
तुम समणी हाजिर हो जाना “थकुलु” बणके
Nice poem 😛