मेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके

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Meri jindagi

मेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके
सदनि दगडी रैना गले में हंसुलु बनके
इंसान हूँ कुछ ऐब होंगे मुझमे भी
तुम ऐबों को छिंगार जाना थमलु बनके
मौल्यार रैण देना मेरे जीवन में थोड़ी सी
बाकी सब लाछ-लूछ जाना बंसुलु बनके
हाँ वैसे में अडिग हूँ अपने उसूलों पे
पर तुम हौर टेंट घैंट जाना सबुलु बनके
जो भी करेगा सुद्धि-मुद्धि बदनाम हमको
तुम उनको खड्या जाना पट्ट कुटुल बनके
यकुलांस में जब खुद लगेगी मीथें तुमारी
तुम समणी हाजिर हो जाना “थकुलु” बणके

One thought on “मेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके

  • September 13, 2016 at 4:28 am
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    Nice poem 😛

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