“गढ़चेतना वार्षिकी पत्रिका- 2017” विमोचन कार्यक्रम के कुछ छायाचित्र |
दिनांक 18 जून 2017 को कुमांऊँ भ्रातृ मण्डल’ फरीदाबाद में गढ़चेतना वार्षिकी पत्रिका -2017 के अनावरण कार्यक्रम के कुछ शानदार
Read moreदिनांक 18 जून 2017 को कुमांऊँ भ्रातृ मण्डल’ फरीदाबाद में गढ़चेतना वार्षिकी पत्रिका -2017 के अनावरण कार्यक्रम के कुछ शानदार
Read moreएक लड़की की पुकार पापा आपके आँगन की मीठी किलकारी हूँ मैं, आवारा चीख न समझना | लड़के से ज्यादा
Read moreसाथ साथ जो खेले थे बचपन में वो सब दोस्त अब थकने लगे है किसीका पेट निकल आया है किसीके बाल पकने लगे है सब पर भारी ज़िम्मेदारी है सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है दिनभर जो भागते दौड़ते थे वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है उफ़ क्या क़यामत हैं सब दोस्त थकने लगे है किसी को लोन की फ़िक्र है कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है फुर्सत की सब को कमी है आँखों में अजीब सी नमीं है कल जो प्यार के ख़त लिखते थे आज बीमे के फार्म भरने में लगे है उफ़ क्या क़यामत हैं सब दोस्त थकने लगे है देख कर पुरानी तस्वीरें आज जी भर आता है
Read moreसभी उत्तरखंडी भाई बहनों को सूचित किया जाता है कि गढ़चेतना टीम आने वाली 14 जनवरी 2017 को मकर संक्रांति
Read moreबारा मैनो की बारामास गायी घगरी फटीक घुंडियों माँ आयी २ चैत का मैना दिशा भेट होली तेरी ब्येटुली ब्वे
Read moreप्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये पर्वत जन कठोर भी छिन ये हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी बेटी
Read moreकुछ पत्थर चुप जैसे कुछ पत्थर बोलना चाहते हैं किंतु करें क्या, करें क्या कि नहीं है, नहीं है जरा भी
Read moreराष्ट्र भाषा की व्यथा। दु:ख भरी इसकी गाथा। क्षेत्रीयता से ग्रस्त है। राजनीति से त्रस्त है। हिन्दी का होता अपमान।
Read moreदेखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है .. सारे
Read moreब्वारि ऐसी चाहिए जो अंग्रजी के साथ गढ़वाली भी बच्याती हो । घास काटने के साथ फेसबुक भी चलाती हो
Read moreमेरी जिंदगी में आना छतुरु बनके सदनि दगडी रैना गले में हंसुलु बनके इंसान हूँ कुछ ऐब होंगे मुझमे भी
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